नमस्कार साथियों,
कुछ समय से एक शब्द हम बार-बार सुन रहे हैं और वह है हमारा इम्यून सिस्टम ,यानी कि रोगों से लड़ने की हमारी इस शरीर की क्षमता ! यानी कि दूसरे शब्दों में कहें तो हमारे शरीर में कोई भी बीमारी का कीटाणु, हमारे शरीर में प्रवेश कर जाए तो हमारा शरीर उससे किस शक्ति के साथ किस प्रभाव के साथ लड़ता है इसी को इम्यून सिस्टम बोला जाता है !
परमात्मा ने इतनी बड़ी यह दुनिया बनाई, यह सृष्टि बनाई और इस सृष्टि में तरह तरह के जीव बनाए, कुछ जीव तो ऐसे हैं जिनको इंसान अपनी नंगी आंख से देख भी नहीं सकता और कुछ जीव ऐसे हैं वह इंसान से इतने बड़े है, वह जानवर जो इंसान से कहीं बहुत ज्यादा विशालकाय हैं !इन सब जीव जंतुओं को चाहे वह जीव जंतु जिनको इंसान अपनी नंगी आंख से देख भी नहीं सकता और इसके अलावा वह बड़े बड़े जीव जंतु जो इंसान से बहुत बड़े हैं बहुत विशालकाय हैं, इन सब को इस परमात्मा ने यह सारे का सारा सिस्टम दे रखा है जिस सिस्टम के बारे में हम सोचते हैं! हम आजकल देख रहे हैं और वह है इम्यून सिस्टम
आप ध्यान से देखिए एक छोटी सी चींटी जो कई बार हमारे पैर के नीचे आकर भी मारी जाती है उसको भी परमात्मा ने इम्यून सिस्टम बक्सा हुआ है ! यानी की बरसात आ जाए, बर्फ पड़े या अग्नि की तरह जलाने वाली गर्मी पड़े उस मौसम में भी वह चींटी अपने आप को इस प्रकृति के बीच में सही सलामत रख पाती है और दूसरी नजरों में दूसरे जानवरों को देखें जो इंसान से बहुत ज्यादा विशालकाय हैं जैसे कि हाथी उस हाथी को भी जो परमात्मा ने यही इम्यून सिस्टम दिया हुआ है और इन सब जानवरों को यह सब पता है कि हम अपने आप को किस तरह प्रकृति के अनुकूल और किस जलवायु में कैसे अपने आप को तंदुरुस्त रख सकते हैं और कैसे हम बीमारियों से लड़ सकते हैं उनके अंदर कोई वायरस कोई बीमारी का कीटाणु अगर चला भी जाए तो उनके अंदर वह सारे का सारा सिस्टम इस कुदरत ने पहले से ही रखा हुआ है जिसके द्वारा वह कीटाणु या रोगाणु उस इम्यून सिस्टम की वजह से अंदर ही मारा जाता है और वह जीव जंतु पहले जैसा तंदुरुस्त होकर अपनी दिनचर्या करने लग जाता है
अगर गौर से देखें तो हमारे शरीर का जो इम्यून सिस्टम है वह एक देश की तरह एक देश के सैनिक विभाग की तरह काम करता है! जैसे एक देश की सीमाओं की रक्षा एक सेना करती है ! उसी प्रकार हमारा इम्यून सिस्टम इस शरीर रूपी देश की रक्षा करने के लिए एक सैनिक की तरह 24 घंटे पहरा देता है कि कोई भी घुसपैठिया या बाहर का व्यक्ति किसी देश में ना घुस जाए और वह घुसपैठिया कौन है वह घुसपैठिया है कीटाणु जो हमारे शरीर में आकर हमारे शरीर की संरचना या हमारे शरीर को खराब करने की कोशिश करेगा कल आने वाले समय में एक बीमारी के रूप में , तो आज अगर हमारा इम्यून सिस्टम यह सेना हमारे शरीर की तंदुरुस्त है फिट है और इसको वह सब कुछ खुराक और हथियार मिल रहे हैं जो इसको मिलने चाहिए तो यह बाहर से आने वाले घुसपैठियों को हमारे शरीर में घुसने नहीं देगा !
लेकिन आज के इस आधुनिक काल में इस भौतिक संसार में हम इतने व्यस्त हो गए हैं कि हम अपने इस इम्यून सिस्टम और अपने इस शरीर का ध्यान नहीं रख पा रहे हैं हमारा इम्यून सिस्टम अगर देखा जाए तो हमारे आहार से बनता है ! और जैसा हमारा आहार होता है वैसा ही हमारा शरीर बन जाता है ,अगर हम इस शरीर के अनुकूल खाना खाएंगे मतलब इस शरीर को जो चाहिए उस तरह का खाना खाएंगे तो यह शरीर तंदुरुस्त रहेगा ! इस शरीर का इम्यून सिस्टम स्ट्रांग रहेगा, इस काबिल रहेगा कि वह किसी भी बीमारी को हमारे शरीर में प्रवेश करने नहीं देगा ! अगर हम इसके विपरीत आहार खाएंगे यानी कि जो हमारे शरीर को चाहिए वह नहीं खाएंगे वह खाएंगे जो हमारी जीभ को स्वाद लगता है यानी कि हमारी जीभ को मजा जिस बात में आता है, उस चीज को हम खाएंगे तो वह चीज वह खाना हमारे शरीर को फायदा करने की बजाय नुकसान करेगा !
हमारे शरीर में कुछ ऐसे तत्व ऐसी चीजें हैं जो पहले ही ज्यादा हैं जैसे कि हम हर रोज मीठा खाते हैं शुगर खाते हैं, तो हमारे शरीर के अंदर शुगर की मात्रा पहले से ही ज्यादा हैं और अगर हम और शुगर खा रहे हैं तो हमारे को डायबिटीज, शुगर होने ही वाली है और किसी भी चीज की जब अधिकता हो जाती है ! यानी कि हमारे शरीर में किसी भी चीज की जब मात्रा बढ़ने लग जाती है तो वह हमारी इम्यून सिस्टम पर विपरीत प्रभाव डालती है ! क्योंकि एक चीज जिसकी पहले ही मात्रा ज्यादा है वह बढ़ रही है और जिसकी मात्रा कम है वह घट रही है तो इसकी वजह से हमारे शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ते हैं और हमारा जो शरीर है अपना बैलेंस खराब कर लेता है उसी की वजह से हमारा जो इम्यून सिस्टम है वह weak हो जाता है यानी कि हमारा इम्यून सिस्टम हमारी रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है और इसीलिए हम बीमार होते हैं!
यानी कि अगर सरल शब्दों में समझें तो हमारा जो आहार है उसी से हमारा यह इम्यून सिस्टम बनता है यानी कि जिस प्रकार का भी हम भोजन करेंगे खाना खाएंगे उसी प्रकार के तत्व हमारे अंदर जाएंगे , और जिस प्रकार के तत्व हमारे अंदर जाएंगे , उसी से हमारा शरीर बनेगा यह अंग बनेंगे और इन अंगों को प्रोटेक्शन देने वाला इनकी रक्षा करने वाला हमारा वह कवच हमारा इम्यून सिस्टम बनेगा तो आप सबसे निवेदन यह है कि सबसे पहले तो यह जानिए कि आपको खाना क्या चाहिए अगर यह जान पाए आप, तो उसके बाद ही यह बात शुरू होती है कि उस को कितनी मात्रा में आपने खाना है ! इस सब का अगर आपको ज्ञान है और इस सब का ज्ञान आपने अर्जित कर लिया तो आप अपनी इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग कर पाएंगे और अगर आपका इम्यून सिस्टम स्ट्रांग है तो आपको किसी भी प्रकार की कोई भी बीमारी नहीं हो सकती और आप तंदरुस्त रहोगे फ़िट रहोगे और एक भरपूर जिंदगी जी कर लोगों का भला करके लोगों को सही दिशा देकर और इस संसार को कुछ देकर इस संसार से जाओगे यानी कि आपकी आत्मा आपके शरीर को तंदुरुस्त रहते हुए इस दुनिया में छोड़ कर चली जाएगी !
अगर सरल शब्दों में समझें तो हम सबको अगर अपने इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग बनाना है इसको इस काबिल बनाना है कि वह हर बीमारी से लड़ पाए और हमारे शरीर को तंदुरुस्त रख पाए के लिए हमारे को ज्यादातर उस तरह का खाना, खाना पड़ेगा जिस तरह का खाना खाने से हमारा इम्यून सिस्टम स्ट्रांग हो और वह खाना क्या है !
वह खाना वह है जो प्रकृति ने हमारे को दिया है यानी कि प्रकृति ने जैसा हमारे को दिया है जितना ज्यादा हम उसको उस तरह का खाएंगे जिस तरह का उसने दिया है ! तो हमारा इम्यून सिस्टम जो है वह स्ट्रांग रहेगा यानी कि जो हरी पत्तेदार सब्जियां हैं उनको जितना उनके नेचुरल फॉर्म में हम खाएंगे यानी कि जैसा वह है वैसा खाने की कोशिश करेंगे यानी कि उनको कम तले , इससे हमारा जो इम्यून सिस्टम है वह स्ट्रांग होगा !